मेरा पन्ना

Sunday, December 21, 2014

Hope...

Among All clouds that we could see..
There is an hope, that we could flee..
It's all wait there till it's night..
Before span our wings in sunshine light...
Life is harmony of curves and slop..
What makes it melodious.. Is everlasting hope..
Oh yes, among all clouds, that i could see..
There is always an hope, that i could flee..

Saturday, December 13, 2014

ज़न्नत मैं उठ रहा हैं धुंआ


ये जो ज़न्नत मैं उठ रहा हैं धुंआ..
किसी चिनार मैं आग लगी हो जैसे.
आवाज की परवाज गुम हो गयीं कहीं..
कि किसी दीवार मैं उसे चिनवाया हो उसे..

तकसीन की तारीफ क्या बयाँ करे यहाँ
रोशन हुई थी हर महफ़िल इनायत हो जैसे..
ये जो ज़न्नत मैं उठ रहा हैं धुँआ
किसी चिनार मैं आग लगी हो जैसे..

शिकारे दरिया मैं बहते नही अब फलक तक..
की पानी ने बर्फ की शक्ल अख्तियार की हो जैसे..
सरताज और सह्बाज़ हैरान हैं दोनों ही..
ऊँचाइयों का इस कदर गुमां इंसान को हुआ कैसे..

ये जो ज़न्नत मैं उठ रहा हैं धुआं..
किसी चिनार मैं आग लगी हो जैसे..


Sunday, November 9, 2014

sun le re.. [ on rhythm of "Say it" by Enrique ]

 Sing it with rhythm of Say it by Enrique

तन्हा..तन्हा से, दिल ये.. मेरे दिन ये..रहते हैं
खाली.. खाली सी, रातें.. मेरी बातें ये..कहते हैं
कैसा हुआ हैं ये नशा...मुझे कुछ पता नहीं
कैसा हैं ये दर्द की इसकी...कोई दवा नहीं....

सुन ले रे खुदा ये..अगर तू जाग रहा हैं
बन्दों को ताक रहा हैं..
की कैसी हैं फिजा यू..

होके खफा क्यू.. तकलीफे बाट रहा हैं..
खुशियों को छाट रहा हैं..
की हर इंसा क्यू..

सहमे.. सहमे सहमे चेहरे.. दिलो पर पहेरे ,रहते हैं..
लम्हे...खोये वो लम्हे.. यादो मैं अब भी, रहते  हैं..
कैसा हुआ हैं ये नशा...मुझे कुछ पता नहीं
कैसा हैं ये दर्द की इसकी.  कोई दवा नहीं....

सुन ले रे खुदा ये..अगर तू जाग रहा हैं..
बन्दों को ताक रहा हैं..
सुनके हर दुआ को...]

कि इस कदर रुस्वा क्यू.. मौसम हो रहा हैं..
अश्को मैं हो रहा हैं..
हर ख्वाब बयाँ यू..

कैसा हुआ हैं ये नशा...मुझे कुछ पता नहीं...
कैसा हैं ये दर्द की इसकी.  कोई दवा नहीं...

सुन ले रे खुदा ये..अगर तू जाग रहा हैं
बन्दों को ताक रहा हैं..
की कैसी हैं फिजा यू..










Sunday, October 12, 2014

Tukda tukda

Tukda tukda jalta hain dil
Jalta koi khawaab hain..
Jabki channd jalta rha raat bhar..
Fir kyu roshan jajbaat hain..

Bhul jaaye kaise koi khud KO..
Yaadein itni behisaab hain..
Parinde laut kar nhi aate hain kuch..
Sookh jata intzaar main jhaad hain..

Har raha chale,har marz shae..
Samjha na koi humara Jo raaz hain..
Muskurane ko bol na Dena ab..
Ki hoth mere naraaz hain..

Na baat koi, na saath koi..
Na hi koi aawaz hain..
Kuch chalta hain ab bas to..
In dhadkaon ka saaz hain..

Tukda tukda jalta hain dil..







Sunday, July 20, 2014

क्या हैं?

वक़्त की इस तस्वीर मे,छुपा क्या हैं?
तेरा और मेरा घुनाह क्या हैं?
समझे खुद को,या खुद को समझाये
आग बाकी हैं अभी,फिर ये धुंआ क्या हैं?

दूर कहीं खुप जायेंगे हम तुम
फिर क्या खुदा,और दुआ क्या हैं?
संभले खुद से,या खुद को सम्भाले
बात बाकी हैं अभी,फिर होश गुमां क्या हैं?

तारीफ तेरे तब्बसुर की कर लिया करेंगे
फिर क्या शब्,और सुबह क्या हैं?
मनाये खुद को या खुद से मान जाये
जंग जब अपनों से हो,तो जीत हार का निशाँ क्या हैं?

Thursday, June 5, 2014

बंजारा दिल

बंजारा हैं, ये दिल तेरा
बेगाना सा, ये बंजारा हैं
नजारा हैं, ऐसा इस  दिल का
अनजाना सा, ये नजारा हैं

यूं तो हँस लेता हैं तेरे सामने..
फिर भी छुप के ये क्यू, रो लेता हैं...
खुद से ही होके कहीं ये गुमशुदा
अपना पता फिर सबको बता देता हैं

बंजारा हैं, ये दिल तेरा
बेगाना सा, ये बंजारा हैं
नजारा हैं, ऐसा इस  दिल का
अनजाना सा, ये नजारा हैं

जाने किस की खबर, ये रखता हैं..
खुद का तो इसे, कोई इल्म नहीं..
किसके khawaon मैं यूं, खोया हैं फिरा
अपने सपनो की इसको फ़िकर नही

 बंजारा हैं, ये दिल तेरा
बेगाना सा, ये बंजारा हैं
नजारा हैं, इस  दिल का
अनजाना सा, ये नजारा हैं

आ जरा रोक ले तू अब इसे..
बेफ़िकर ये फिर से कहीं उड़ चला
ना जाने किस की धुन मैं यूं खोया..
सब मिला हैं फिर भी हैं ये जुदा.

बंजारा हैं, ये दिल तेरा
बेगाना सा, ये बंजारा हैं
नजारा हैं,  इस  दिल का
अनजाना सा, ये नजारा हैं

Monday, June 2, 2014

वो पत्ता


बहुत दूर एक पत्ता दिखा समुन्दर पर
सोचा मैंने की ये किस की इनायत हैं?
फिर आया जबाब इस दिल से,
शायद ये किसी तूफ़ान की बरकत हैं

वो साख टूट गयीं जिस पर उगा था ये,
हवाओ के जोश मैं खेला कुंदा था ये
सारे साथी खो गए जिस तूफ़ान में,
शायद इसे उसी तूफ़ान से शिकायत हैं

गहेरी थी यूं तो जड़ें इसके तने की
मिटटी के आगोश मैं फैला फला था ये
सारी नीव हिल गयीं इसकी तूफान में
शायद कुछ ऐसी हुई क़यामत हैं

फिर भी क्यू समुन्दर पर तैर रहा हैं वो
पुछा मैंने जब इस नादान से
हिलोरे लेता हुआ बोला वो बड़े गुमान से
उजड़ कर फिर बस जाना हैं एक दिन
ये ही तो जिन्दगी की शरारत हैं

ye dil

paani ke ooper thera ek shiakara hain ye dil
kahani ke panno par ek ishara hain ye dil
pata nhi chalta is main chupa kya kya hain
mere sapno aur shauk ka pitara ye dil..

kai dino se ruka hain kisi ek moad par..
besabab beinthaan bekaara hain dil
khata nhi karta fir bhi maafi maang leta hain
mere apno aur gairon ka maara hain ye dil..

Wednesday, April 9, 2014

aasmaani sunheri shurkhiyaan


aasmaani sunheri shurkhiyaan, dhikti hain jab..
manjil ki chaah nhi, safar hi suhana hota hain..
beparwah begaani galtiyaan, hoti hain jab..
joothi koi wafa nhi, kafir bhi diwaana hota hain..

do kisse humne kya kahe,

sau baatain jamana bana leta hain..
kisi ke dil ka jaane kya, 
hame to apna haal na pata hota hain..

wo khaawb kya hamare choote kahin..

har koi usse apna fasaana bana leta hain..
mil jaate hain kuch is tarah se humse wo..
jaise shaam aur samundar ka kinara hota hain..

nakhush ho log,koi farak nhi hota..

jab apne dil ko sukoon ka ishara hota hain..
aasmaani sunheri shurkhiyaan, dhikti hain jab..
manjil ki chaah nhi, safar hi suhana hota hain..