पता हैं मुझे की तू लौट ना आयेगा कभी
पर तेरे इंतज़ार पर मेरा हक़ आज भी हैं
तू ना कहे ना मिले ना लिखे मुझे कभी
पर तेरे खुमार पर मेरा हक़ आज भी हैं.
आज भी होगा उस राह में मेरा ख़ुदा
जिस राह में तेरा निशाँ आज भी हैं
जो ना था तेरे मेरे दुनिया के हिस्से
उस क़िस्से का नशा आज भी हैं.
पर तेरे इंतज़ार पर मेरा हक़ आज भी हैं
तू ना कहे ना मिले ना लिखे मुझे कभी
पर तेरे खुमार पर मेरा हक़ आज भी हैं.
आज भी होगा उस राह में मेरा ख़ुदा
जिस राह में तेरा निशाँ आज भी हैं
जो ना था तेरे मेरे दुनिया के हिस्से
उस क़िस्से का नशा आज भी हैं.