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Saturday, July 13, 2019

वजूद

ये काली रात, क्या सच में काली है?
ये तो रोशन हुआ करती थी तुम्हारे नूर से,

ये सूनी राह, क्या सच में सूनी हैं?
ये तो गुलज़ार हुआ करती थी तुम्हारे फ़ितूर से

ये गीली आँख, क्या सच में गीली हैं?
ये तो झिलमिला हुआ करती थी तुम्हारे सुरुर से,

ये टूटा दिल, क्या सच में टूटा हैं?
ये तो धड़का करता था तुम्हारे ग़ुरूर से,

ये काली रात,सूनी राह,गीली आँख,टूटा दिल
ये सब तो हुआ नहीं करता था तुम्हारे वजूद से!

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