शाम थी,सूरज को दिखी चाँदनी
वो डूब रहा था, ये कैसे बताता उसको..
कि रात आने को थी नज़दीक
रोशनी से नाता टूट रहा था, ये कैसे बताता उसको..
शायद कुछ बताने जताने की ज़रूरत भी ना थी
चाँदनी से साथ छूट तो रहा था..
कि तारों को अपने हिस्से की रोशनी देकर
यूँ पास ना होकर भी वो चला साथ रात भर..
वो डूब रहा था, ये कैसे बताता उसको..
कि रात आने को थी नज़दीक
रोशनी से नाता टूट रहा था, ये कैसे बताता उसको..
शायद कुछ बताने जताने की ज़रूरत भी ना थी
चाँदनी से साथ छूट तो रहा था..
कि तारों को अपने हिस्से की रोशनी देकर
यूँ पास ना होकर भी वो चला साथ रात भर..
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