ये शाम का किनारा,सुनहरा भी हैं laal भी..jaise झील पर शिकारा, सहलता भी हैं और शांत भी..
परिंदे उड़ रहे हैं तेज, जैसे कोई साख बुलाती हैं..
ये दिन का ढलना, दिल मैं भी हैं और साथ भी...
हवाए धीमी हैं पर हैं बहुत गहेरी
दुआएं अजानो मैं हैं,पर हैं बहुत फैली..
घंटिया बज उठी,हर मंदिर की देरी
इस वक़्त का लम्हा, हिन्दू भी हैं मुसलमान भी..
बहुत देर हुई दमकते की थक गया सूरज,,
इस रात मैं सुकून भी हैं आराम भी..
बादल उमड़ रहे हैं तेज, जैसे की बारिश बुलाती हैं..
ये शाम का किनारा. सुनहरा भी हैं लाल भी..
खेतों मैं आज उगा हुआ एक छोटा पौधा..
देख रहा हैं एकटक ये मंजर अनोखा..
जिस ने दी उससे गर्मी अपनी रौशनी की..
वो सूरज अभी थोडा ठंडा भी हैं शांत भी..
सुन सको तो सुनो हैं इस शाम का भी एक गीत..
जिस मैं बस जिदगी हैं और अहिं उसकी रीत..
जो आया हैं वो जाता हैं.वावास आने को दोबारा..
अलविदा जैसा कुछ नहीं.. ये बस एक शाम का इशारा..
रुख्सह्त रौशनी की होगी एससी कोई प्रथा नहीं..
एक सूरज जायेगा तो होगी तारो की ररौशनी..
की रात कभी नहीं होगी अन्देहरी.. अगर मन मैं उजाला हो..
की वापस
परिंदे उड़ रहे हैं तेज, जैसे कोई साख बुलाती हैं..
ये दिन का ढलना, दिल मैं भी हैं और साथ भी...
हवाए धीमी हैं पर हैं बहुत गहेरी
दुआएं अजानो मैं हैं,पर हैं बहुत फैली..
घंटिया बज उठी,हर मंदिर की देरी
इस वक़्त का लम्हा, हिन्दू भी हैं मुसलमान भी..
बहुत देर हुई दमकते की थक गया सूरज,,
इस रात मैं सुकून भी हैं आराम भी..
बादल उमड़ रहे हैं तेज, जैसे की बारिश बुलाती हैं..
ये शाम का किनारा. सुनहरा भी हैं लाल भी..
खेतों मैं आज उगा हुआ एक छोटा पौधा..
देख रहा हैं एकटक ये मंजर अनोखा..
जिस ने दी उससे गर्मी अपनी रौशनी की..
वो सूरज अभी थोडा ठंडा भी हैं शांत भी..
सुन सको तो सुनो हैं इस शाम का भी एक गीत..
जिस मैं बस जिदगी हैं और अहिं उसकी रीत..
जो आया हैं वो जाता हैं.वावास आने को दोबारा..
अलविदा जैसा कुछ नहीं.. ये बस एक शाम का इशारा..
रुख्सह्त रौशनी की होगी एससी कोई प्रथा नहीं..
एक सूरज जायेगा तो होगी तारो की ररौशनी..
की रात कभी नहीं होगी अन्देहरी.. अगर मन मैं उजाला हो..
की वापस
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